अब मेरी सुरता भजन में लागी भजन lyrics

भजन

हेमनाथ जी महाराज की वाणी अब मेरी सुरता भजन में लागी भजन lyrics

अब मेरी सुरता भजन में लागी, सतगरु मिलिया सागी।।टेर।।

(1) जड़ी बूटी रे भाया ओखद सारी दवा दारू हम त्यागी।
जंतर मंतर तंतर सारा लाख बाजी हम त्यागी।।

(2) पोथी पुस्तक ज्योतक सारा वास-वास हम त्यागी।
तीरथ व्रत नेम रा बंधन सेवा पूजा ही हम त्यागी।।

(3) कुदरत का खेल कुदरत से होवे मत भूलो वड भागी।
सहजे सहजे सब कुछ होवे चिंता कल्पना त्यागी।।

(4) सतगुरु मिलिया संशय टलिया भेद भ्रम सब भागी।
कहे हेमनाथ सुनो भाई साधु निर्भय हुआ वड भागी।।

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यह अब मेरी सुरता भजन में लागी भजन lyrics हेमनाथ जी महाराज द्वारा रचित प्रेमा भक्ति पर आधारित है इस भजन में हेमनाथ जी महाराज ने परमात्मा से प्रेम की पराकाष्ठा को लिपिबद्ध किया है हेमनाथ जी महाराज ने कहा है कि जब भक्तों को अपने भगवान से प्रेम हो जाए उसके बाद उसके जीवन में यह साधन गौण हो जाते हैं जैसे उसके शरीर के लिए जड़ी बूटी दवा दारू आदि गौण हो जाते हैं यह तंत्र मंत्र यंत्र आदि सिद्धियां अष्ट सिद्धि नौ निधि सभी उसके लिए गौण हो जाती है यह पोती किताबी ज्ञान पुस्तक आदि का जो ज्ञान है यह जो सेवा है पूजा पाठ है यह जो उपासना के अंग है यह सब गौण हो जाते हैं जब उसे परमात्मा में एकत्व अनुभव होता है तब वह यह सोचता है कि यह कुदरत का जो खेल है यह कुदरत से ही होना है यहाँ पर न आपका न हमारा चलना है जो होना है वह सहज सहज में ही सब कुछ हो जाएगा फिर यह व्यर्थ की कल्पनाएं करने से क्या इन चिंता कल्पनाओं का कोई औचित्य नहीं है जब इस जीव को सच्चे सतगुरु मिलते हैं तो सारे संशय मिट जाते हैं हेमनाथ जी महाराज कह रहे हैं कि फिर वह एकदम निर्भय होकर इस संसार में विचरण करता है मित्रों उम्मीद करता हूं यह भजन आपको अच्छा लगा होगा अगर यह भजन अच्छा लगा है तो कृपया लाइक करें कोई सुझाव हो तो कमेंट बॉक्स में जरूर दें अपने प्रिय मित्रों में शेयर जरूर करें अब मेरी सुरता भजन में लागी भजन lyrics

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