कौवों और उल्लुओं का युद्ध की कहानी
जंगल में एक विशाल बरगद के पेड़ पर कौवों का एक झुंड रहा करता था। पेड़ के पास ही एक गुफा थी जहां उल्लुओं ने अपना घर बना लिया था। कौवों और उल्लुओं में लंबे समय से दुश्मनी चल रही थी। रात के अंधेरे में कौवे उल्लुओं को देख नहीं पाते थे। इसका फायदा उठाते हुए, उल्लू कौवों का शिकार करते थे । कौवों और उल्लुओं का युद्ध की कहानी
कौवों के राजा ने अपने मंत्रियों से इस समस्या के बारे में चर्चा की। उनमें से कुछ ने राजा को अपने दुश्मन से डट कर मुकाबला करने की सलाह दी। कुछ ने बरगद का पेड़ छोड़, किसी नई जगह पर बस जाने की बात राजा के सामने रखी तो कुछ ने उल्लुओं के साथ समझौता करना ही एकमात्र उपाय बताया। कौवों और उल्लुओं का युद्ध की कहानी
इन सभी बातों ने राजा को भ्रमित कर दिया। तब राजा अपने सबसे पुराने मंत्री के पास विचार-विमर्श करने पहुंचे। मंत्री ने राजा से कहा, “राजन, हम उल्लुओं जैसे शक्तिशाली दुश्मन से नहीं लड़ सकते, और न ही हम उनसे शांति की उम्मीद कर सकते हैं। यदि हमें उनसे जीतना है तो हमें उनकी कोई कमजोरी ढूंढ कर उन्हें हराना होगा। यदि हमें सुरक्षित रहना है तो उन्हें हराना ही होगा। कौवों और उल्लुओं का युद्ध की कहानी
वृद्ध मंत्री ने राजा को अपनी योजना के बारे में बताया, “मुझे पूरा विश्वास है कि उल्लुओं ने हम पर नज़र रखने के लिए जासूस छोड़े होंगे। आपको मुझ पर सभी के सामने हमला करना होगा। उसके बाद आप बाकी कौवों के साथ पहाड़ों पर आश्रय ले लें। वहां आप सभी सुरक्षित रहेंगे और वहां रह कर तब तक प्रतीक्षा करें जब तक यहां वापस आ कर उल्लुओं को हराना संभव न हो जाए। इस बीच मैं उल्लुओं से दोस्ती कर लूंगा। उनका विश्वास जीत कर उनके बीच रहूंगा और उनकी कमजोरी ढूंढ लूंगा।’ कौवों और उल्लुओं का युद्ध की कहानी
राजा ने वृद्ध मंत्री की योजना से सहमति जताई। राजा ने अपने कुछ मंत्रियों के साथ वृद्ध मंत्री पर हमला कर, उसे गंभीर रूप से घायल कर दिया। फिर कौवों का झुंड, पहाड़ों पर चला गया। जासूस उल्लुओं ने इस घटनाक्रम के बारे में उल्लुओं के राजा को जानकारी दी। उल्लुओं का राजा, बूढ़े कौवे को देखने आया।
बूढ़े कौवे ने उल्लुओं के राजा से कहा, “कौवों के जिस राजा ने मेरे साथ दुर्व्यवहार किया है, मैंने उसे बर्बाद करने की शपथ ली है। अगर आप मुझे आश्रय दें, तो मैं स्वस्थ होने के बाद आपको उनके निवास पर ले जाऊंगा।’
उल्लुओं ने बूढ़े कौवे की बात पर विश्वास करके उसे अपने पास आश्रय दे दिया। बूढ़े कौवे ने उल्लुओं के राजा की चापलूसी कर उनका विश्वास जीत लिया। फिर उसने घोषणा की, ‘महाराज, मैं आपकी उदारता के लिए आपका आभारी हूं। मैं दिन के समय गुफा के प्रवेश द्वार पर पहरेदारी करूंगा।” कौवों और उल्लुओं का युद्ध की कहानी
उल्लुओं का राजा इस बात के लिए मान गया । वृद्ध कौवा गुफा के प्रवेश द्वार पर पहरा देने लगा। एक दिन, जब सभी उल्लु गुफा के भीतर सो रहे थे, वृद्ध कौवे ने ढेर सारे सूखे पत्ते इकट्ठे कर उन्हें गुफा के प्रवेश द्वार पर फैला दिया। फिर वह पहाड़ों पर अपने मित्र कौवों के पास गया और कौवों से अपनी चोंच में दबा कर जलती लकड़ियों को लाने के लिए कहा। कौवों ने जलती लकड़ियां ला कर गुफा के द्वार पर बिखरे सूखे पत्तों पर गिरा दीं। पत्तियां जलने लगीं। भीषण आग और पत्तियों के धुएं की वजह से सभी उल्लु गुफा में ही मारे गए। कौवों ने उल्लुओं को परास्त कर दिया।
नैतिक शिक्षा :-
हमें अपने शत्रुओं पर कभी भी विश्वास नहीं करना चाहिए।
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पंचतन्त्र की कहानियाँ
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