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कवि गंग की देवस्तुति
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कवि गंग की देवस्तुति

(कबित्त) गाढ़े गहो गहिर गुहारियौ चिहारि कियो,ए हो दीनबंधु अब दीन कहूँ दलि गो।परत भनक उठि धायो कमला को कंत,अस्त्र

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अथ श्री गुरु चालीसा

अथ श्री गुरु चालीसा  ॥ दोहा । ओम नमो गुरुदेवजी, सबका सरजन हार । व्यापक अन्तर बाहर में, पारब्रह्म करतार

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राजारामजी की आरती

राजारामजी की आरती ओम जय गुरूदेव हरे, प्रभु जयगुरूदेव हरे ।। अधम उद्धारण कारण, भक्ति बढावन कारण संतन रूप धरे

शिवजी के भजन LYRICS
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शिवजी के भजन LYRICS

शिवजी के भजन LYRICS   ॐ महादेव शिवशंकर ॐ महादेव शिवशङ्कर शम्भो उमाकान्त हर त्रिपुरारे । मृत्युञ्जय वृषभध्वज शूलिन् गङ्गाधर

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लिङ्गाष्टकम् स्तोत्रं

लिङ्गाष्टकम् स्तोत्रं लिङ्गाष्टकम् ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गंनिर्मलभासितशोभितलिङ्गम् ।जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं तत्प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥ १ ॥ देवमुनिप्रवरार्चितलिङ्गं कामदहं करुणाकरलिङ्गम् ।रावणदर्पविनाशनलिङ्गं तत्प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥ २ ॥ सर्वसुगन्धिसुलेपितलिङ्गं

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